कालसर्प दोष एक बहुत ही खतरनाक योग है। यह दोष अगर किसी जाताक की कुंडली मे आ जाए तो क्या-क्या हो सकता है इस लेख के माध्यम से हम इसकी पूर्णरूप से जानकारी प्रदान करेंगे।
काल सर्प दोष
ज्योतिषी शस्त्र के अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली के सारे गृह राहू और केतू के बीच मे हो तब जातक की कुंडली मे कालसर्प दोष योग बनता है, कालसर्प दोष काफी घातक सवित हो सकता है इस दोष के चलते हुए जातक को कई प्रकार की परेशानियों व बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष मे होने वाली परेशानियाँ व बाधाएँ
कालसर्प दोष मे होने वाली मुख्य परेशानियाँ कुछ इस प्रकार है-
जातक के विवाह मे देरी होना।
संतान सुख प्राप्त न होना।
मन मे हमेशा नकारात्मक विचार आना।
खुद को असफल समझना ।
कठिन परिश्रम करने के बाद भी सफलता न मिलना ।
दाम्पत्य जीवन मे कलह और तनाव का रहना ।
व्यपार मे हानी होना।
जातक को गुप्त शत्रुओ से खतरा बना रहता है।
कालसर्प दोष का पता कैसे चलता है?
कुंडली मे कालसर्प दोष होना निम्न कारणो से पता चलता है-
सोते समय जातक को बुरे सपने दिखाई देते है।
बार - बार दुर्घटनाओ का सामना करना पड़ता है।
जातक बिना वजह परेशान होता रहता है।
सफलता मिलते हुए भी विफलता का सामना करना पड़ता है।
कालसर्प दोष कुंडली मे कितने समय तक रहता है?
यदि किसी जातक की कुंडली मे कालसर्प दोष बनता है तो उस जातक को अपने जीवन मे बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, माना जाता है की कालसर्प दोष जातक की कुंडली मे कम से कम 42 वर्ष या मृत्यु होने तक बना रहता है।
कालसर्प दोष मंत्र क्या है?
कालसर्प दोष के असर को कम करने के लिए नीचे दिये गए मंत्र का जाप करना चाहिए-
नाग गायत्री मंत्र: 'ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।
इस मंत्र को कालसर्प दोष निवराण के लिए प्रभावी माना जाता है।
इसके अलावा आप 'ॐ नमः शिवाय' और 'ॐ नागदेवताय नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं। रुद्राक्ष माला से 108 बार जाप करना होता है।
कालसर्प दोष की पहचान कैसे करे?
व्यक्ति के जन्मांग चक्र में राहु और केतु की स्थिति आमने सामने की होती है। दोनों 180 डिग्री पर रहते हैं। यदि बाकी सात ग्रह राहु केतु के एक तरफ हो जाएं और दूसरी ओर कोई ग्रह न रहे, तो ऐसी स्थिति में कालसर्प योग बनता है। इसे ही कालसर्प दोष कहा जाता है।
कालसर्प दोष के उपाय क्या - क्या है?
कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए इन उपायो का प्रयोग करे-
चाँदी के दो सर्पो के साथ ही स्वस्तिक बनाएँ।
नागपचमी के दिन दुर्गपाठ करें।
सपेरे से लेकर नाग नागिन के जोड़े को जंगल मे छोड़े।
शिव मंदिर मे शिव लिंग पर नाग चड़ाये
काल सर्प दोष का निवारण
कालसर्प दोष के निवारण का सबसे आसान एवं लाभकारी उपाय यही है, की किसी शिव जी के मंदिर मे जाकर शंखपाल कालसर्प दोष निवारण पूजा करनी चाहिए। यह पूजा कराने के पश्चात ही आप इस दोष से मुक्ति पा सकते है।
कालसर्प दोष निवारण पूजा कहाँ होती है?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए मध्य प्रदेश मे स्थित उज्जैन और महाराष्ट्र मे स्थित नासिक सर्वश्रेष्ठ स्थान है। यहाँ पर पूजा करा कर आप शंखपाल कालसर्प दोष के दुष्प्रभावो से जल्द ही मुक्ति पा सकते है।
कालसर्प दोष निवारण पूजा कैसे कराये?
अगर आप भी उज्जैन मे कालसर्प दोष निवारण पूजा करवाना चाहते है, तो कांता गुरु जी से संपर्क कर सकते है। और शंखपाल कालसर्प दोष और इसके निवारण के बारे मे विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है।
पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है, एवं सभी प्रकार के दोष एवं बाधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा समय हो गया है।